इस पोस्ट में हम जानेगे What is the type of drill-ड्रिल के बारे मे Drill-ड्रिल किसे कहते है, इस का इतिहास, Drill-ड्रिल कवायत का उदेश के बारे में
ड्रिल कवायत-
ग्राउंड पर ड्रिल का मुख महत्व और उदेश होते है, जो काम करना है वह एकता की भावना से करना है और शरीर का तालमेल रखते काम करते है उसे ड्रिल कहते है।
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इतिहास-
ड्रिल संन १६६६ में जर्मनी में शुरू हुइ थी, ड्रिल सबसे पहले जर्मनी के जनरल डालने शरू की थी, ड्रिल भारत में ब्रिटिश सरकार द्वारा सन- १८६० में ब्रिटिश अकादमी अम्बाला में लाइ गइ थी।
मेन्यूल ऑफ़ पुलिस ड्रिल सन १९५८ पार्ट -२ चेप्टर -३ के मुताबिक निम्न लिखित काम शिखाये जाते है।
- उस्ताद का तेज नमूना
- उस्ताद का गिनती और बयान से
- उस्ताद के साथ नक़ल
- इन्डीविझल प्रेक्टिस
- समूह
ड्रिल के प्रकार-
- ओपन ड्रिल
ओपन ड्रिल लड़ाई के मैदान में की जाती है। जिस की कोई सीमा निर्धारित नहीं होती।
- पेट्रोलिग
- अम्बुस
- हमला करना
- किसी भी भीड़ को तितर बितर करना
- किसी इलाके की तलासी करना
- क्लोझ ड्रिल
क्लोझ ड्रिल ग्राउंड पर पाई जाती है। और उसके प्रकार-
- पद कवायत (फूट ड्रिल)
- शस्त्र कवायत (आर्म ड्रिल)
- छड़ी कवायत (केन ड्रिल)
- किरच कवायत (स्काउड़ ड्रिल)
- निशान कवायत (कलर ड्रिल)
- शोक कवायत (क्युनरल ड्रिल)
ड्रिल के उदेश-
- ड्रिल उच्चस्तर के अनुशासन के निर्माण और उसे बनाए रखने में सहायक होती है।
- ड्रिल स्वाभिमान, बल के प्रति गौरव जगाती है।
- ड्रिल मस्तिस्क और शरीर में सामान उत्पन्न करती है
- अन्य प्रकार के प्रशिक्षण का आधार बनाती है।
- ड्रिल से सामूहिक मनोबल बढ़ता है।
- अन्य नागरिको में उन के प्रती सन्मान और विश्वाश पैदा करती है।
- ड्रिल से ही किसी भी यूनिट का अनुशासन का पता लगाया जा सकता है।
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